...

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तुम......
ना होके भी तू यादों में साथ था
गैरमौजूदगी में भी
तू मेरे दिल के उतना ही खास था
माना की लकीरों में जुड़ कर टूटना
और टूट कर बिखरना लिखा है
माना की नदी की दो अलग धारा सा है
तेरा और मेरा रास्ता
माना कि शायद जीवन भर का
ना लिखा हो तुमसे मेरा वास्ता
मगर मेरे इस गुज़रते साल का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो तुम.....
जो दिल तक आये पर कलम लिखने से ठहर जाये
उतना अलग... एक खूबसूरत किस्सा हो तुम
किस्मत से फूलों की सेज क्या मांगूं तुम्हारे लिए
कांटों से जो रास्ता बनाते देखा है तुम्हें
बस इतनी सी है इल्तिजा़ फरिश्तों से अपने
जिसे तुम चाहो उसी से तुम्हारी लकीरों के तार मिलें
जो कभी छोड़े ना हाथ तुम्हारा
ऐसा अटूट तुम्हें प्यार मिले
ना राधा-कृष्ण सा.... ना ही सियाराम सा
सदियों के तप से मिलता है जो
जान-निसार करे जो तुम पर
गौरा-शंकर सा अटूट तुमको प्यार मिले❤


© Gauri_68