...

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ऐ कलम, वर्षा अग्रवाल....
ए कलम तुमसे प्यार बहुत है, कैसे कहु इकरार बहुत है
जब होती हूं संग तुम्हारे सब कुछ भूल जाती हूँ
काम काज घर-परिवार छोड़ तुझमे खो जाती हूँ
भूल जाती हूँ दुनिया को जिनकी करीबी कहलाती हूं
अपनी बाते कर साँझा सुकून नया पाती हूँ
जब होती हूं संग तुम्हारे वक़्त लगता है कम
ए कलम तुमसे प्यार बहुत है कैसे कहु इकरार बहुत है
हर लेखक की हो माशूका प्रेमिका हो तुम
तुम्हारे ही तो दम...