...

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अब्बू की यादें ✨
सुबह की किरणों से नहलाती हुई आंगन थी,
हर रिश्तों से जुड़ी मकान भी सजावट थी।।

तितलियाँ की रंगों से रंगीन बागीचे थे,
बाप का शान भी हमारा सर का ताज था।।

कुछ सख्त मिजाज़, कुछ मासूम सी नज़र था,
अब्बू की डर से कभी छुपा हुआ एक परिंदा था।।

रमजान के ख़ुशी मे खुशियाँ शामिल थे,
कितने लजीज़ एक लफ्ज "अब्बू" भरे ज़ुबां थे।।

वो पंखुड़ी के जैसे खिलता हुआ बचपन था,
अब्बू के सहारे को आसमान जैसा छत दिखता था।।

ईद के दिन आंगन मे...