...

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बेवजह
उम्मीद दिए जा रहे हैं,
वादे किए जा रहें हैं।
वजह मालूम नहीं,
बेवजह जिए जा रहें हैं।

गौर से देखो,
तो सब खोखला सा है।
बेवजह,
किसी खजाने की खोज किए जा रहें हैं।

हाथ बड़ा रहें दूसरों के लिए,
पर खुद को किनारे किए जा रहें हैं।
बेवजह सी आस लिए,
हर दर्द पिए जा रहें हैं।

बस जिए जा रहें हैं...