...

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//तुम्हारी बातें//
"तन्हाई में आग़ोश में भर लेती हैं तुम्हारी बातें,
चोरी चोरी ,मुझको, मुझसे ही चुराती हैं तुम्हारी बातें।

रात को अश़्कों की ओस से भिगोती तकिये को मेरे,
सुबह को आफ़ताब तले ख़ुद को सुखाती हैं तुम्हारी बातें।

कभी जाम-ए-साक़ी बन मुझे लगती हैं बहकाने भी,
कभी बन कस्तूरी मुझे ख़ुशबू से महकाती हैं तुम्हारी बातें।

दीदार-ए-यार को जब भी तड़पती है प्यासी रूह मेरी,
तब यादों की गलियों से बिखेर जाती हैं तुम्हारी बातें।

दूरियों में भी क़रीब हो ये अहसास करवा देते हो तुम,
उदास लम्हों को हसीन मुलाक़ातें बनाती हैं तुम्हारी बातें।।"
© ©Saiyaahii🌞✒