...

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गम के भँवर

भागे ख़ुद से तो ग़म के भँवर आ गए
ख़ामुशी के ये कैसे नगर आ गए

माज़ी सोचें बहुत उलझने ही मिली ,
बस दबी लाशों को ख़ोदकर आ गए,,

सोचतें हैं कि सोचेंगे, कुछ भी नही
बैठे तन्हा फ़क़त सोच कर आ...