बचपन के खेल निराले
लहरों सा चलने का ढंग,
मार पीट में ना थे हम कम
शतरंज की बाजी जीत,
सामने वाले को कर देते थे दंग
गेंद को समझ दुश्मन हमारा,
ले लेते थे बदला मार वहीं उसे
अगर कभी हार जाते किसी से ,
तो गुब्बारे सा फूल जाता चेहरा...
मार पीट में ना थे हम कम
शतरंज की बाजी जीत,
सामने वाले को कर देते थे दंग
गेंद को समझ दुश्मन हमारा,
ले लेते थे बदला मार वहीं उसे
अगर कभी हार जाते किसी से ,
तो गुब्बारे सा फूल जाता चेहरा...