जिन्दगी
इस सङक मे उस नदी मे
कुछ समंदर कुछ जज़ीरे
एक कली से फूल तक जाने मे लगते कितने पहरे
फूल तो आएगा जब तक
पत्तीया पहले मिलेगी
इस जमी से आसमा तक
विपत्तिया पहले मिलेगी
कहेगी वह कुछ न कुछ तो
जाने कैसे बात होगी
हाय !कैसी रात होगी
वह समंदर वह जज़ीरे
गाव कस्बे शहर होगे
कैसे बीते पहर होगे...
कुछ समंदर कुछ जज़ीरे
एक कली से फूल तक जाने मे लगते कितने पहरे
फूल तो आएगा जब तक
पत्तीया पहले मिलेगी
इस जमी से आसमा तक
विपत्तिया पहले मिलेगी
कहेगी वह कुछ न कुछ तो
जाने कैसे बात होगी
हाय !कैसी रात होगी
वह समंदर वह जज़ीरे
गाव कस्बे शहर होगे
कैसे बीते पहर होगे...