...

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लहजा..कुछ...अलग..था.. 💕
मैनें.. पढ़ीं.. हजारों.. कविताएँ..
जो.. लिखि.. गई थी..
प्रेम के लिए..
प्रेम से..
और..
मैनें.. भी.. लिखी..
कुछ.. कविताएँ..
प्रेम के लिए..
प्रेम.. से..
पर..
जब.. मैनें..
जिया..
उस.. कविताओं.. को..
तो.. पाया..
उसके.. जैसा.. हो..
एसा.. कुछ.. ना.. था..
जिवन.. की...
कविताओं.. का..
लहजा..
कुछ.. अलग.. था... 💕

© sharmila6510