...

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सन्यासी सा यह मन
अब सन्यासी सा यह मन,
कुछ भी करने का न होता मन।
कितनी दूर तक चलेगा,
कब होगा इसका अंत।

जो इस जन्म में कमी रह गयी,
अगले जन्म में कर लेंगे वो कसर पूरी।
ये दिल चाहता है अब जल्दी हो इसका अंत,
नए सिरे से करें तय,नए सफ़र की यह दूरी।

।। अब सन्यासी सा यह मन ।।
© BALLAL S //२/५/२०२४//