...

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प्रेम जताना क्या
प्यार तुमसे ही तो करता हूं
लेकिन कह कर तुम्हे बताना क्या
अपने को समर्पण करना पर
औरो को अपनाना क्या
प्रेम का ग्राहक बनना
लेकिन प्रेम जता कर
उसे सुनाना क्या
मन के अलौकिक भावों से
औरों को संसय में लाना क्या
ले लेना महक फूलों को तोड
उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम माला पहनाना
लेकिन प्रेम जाल में फसाना क्या
दे कर मन को
मन को पाने की आशा व्यर्थ लगाना क्या ।
विशाल मिश्रा~