एक छोटी सी कविता
उड़ने को हौसलें है ,बुलन्द
रोक सके तो रोक ।
सपनों को साकार
करने को तैयार है हम
उड़ने को तैयार है हम
मिलती नही यूँही मंजिल आसानी से
थोड़ा तो तपिस करना ही पड़ता हैं
बांध लिया नदियों पर अपनी कोशिशों का पुल
तैरकर पार उतरंगे जरूर हम
रोक सको तो रोक
उड़ने को तैयार है हम
अक्सर कई बार आते है राहों में
चुभते कंकडों की कतारे
पर रोक सको तो रोक लो
उड़ने को है तैयार हम ।
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रोक सके तो रोक ।
सपनों को साकार
करने को तैयार है हम
उड़ने को तैयार है हम
मिलती नही यूँही मंजिल आसानी से
थोड़ा तो तपिस करना ही पड़ता हैं
बांध लिया नदियों पर अपनी कोशिशों का पुल
तैरकर पार उतरंगे जरूर हम
रोक सको तो रोक
उड़ने को तैयार है हम
अक्सर कई बार आते है राहों में
चुभते कंकडों की कतारे
पर रोक सको तो रोक लो
उड़ने को है तैयार हम ।
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