...

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लम्बे अरसे बाद
एक लम्बे अरसे के बाद इश्क़ ने मुझे फिर से अपनाया है
तभी तो आज ऐसा लग रहा है कि ये मेरे रूह में समाया है

इसको जीते जी जुदा खुद से अब मैं करूँ भी आखिर कैसे
इसे तवज़्ज़ो भी इसलिए देता हूँ कि यही सुख का साया है

वैसे मिलने का रोज़ मिल जाते होंगे, दोनों को ही राहगीर
मगर कुछ बात है, तभी नसीब ने हम-दोनों को मिलाया है

माना कि इसने दर्द तो बहुत दिए हैं मुझको, मगर फिर भी
यही इश्क़ ही तो है, जो हमारे इस तन्हाई में काम आया है

वैसे तो ख़फ़ा ख़फ़ा सा रहता है, पर ख़्याल बहुत रखता है
भीड़ में भटक ना जाऊँ, इसलिए हर पल साथ निभाया है


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© कुन्दन प्रीत