एक खूबसूरत लडकी...
जिंदगी के हर पड़ाव ने...हर मुकाम ने की उसकी बार बार आजमाइश,
मगर वो लड़ी अकेली हर बार...ना करी कोई शिकायत, ना ही कभी कोई फरमाइश।
वक़्त के पहरे हर बार लेकर आए उसके लिए न जाने कितनी ही गर्दिश,
बांधना चाहा उसे सबने कभी बेड़ियों में तो कभी लगाके बंदिश।
पर वो ना रुकी, ना थकी, ना ही हारी...करती राही...
मगर वो लड़ी अकेली हर बार...ना करी कोई शिकायत, ना ही कभी कोई फरमाइश।
वक़्त के पहरे हर बार लेकर आए उसके लिए न जाने कितनी ही गर्दिश,
बांधना चाहा उसे सबने कभी बेड़ियों में तो कभी लगाके बंदिश।
पर वो ना रुकी, ना थकी, ना ही हारी...करती राही...