एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में मैं हर तरफ हर जगह हूं।।
यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है,
यह गाथा काभी पूर्ण नहीं होगी,
क्योंकि यह गाथा अमर,
इसलिए जो इस में चली वो अमरणिका,
जो अनन्त संग चली वो अन्नतिका,
कृष्ण संग चली वो कृष्णनिका,
मोहन संग चली तो मोहनिका,
हरि संग चली तो हरणनिका,
कैसव संग चली केशवी,
मोहन संग चली तो मोहनिका या मोहिनी,
वीर संग चली तो वीरभद्रा,
कृष्णानंद संग चली तो कृष्णान्नधी,
किशोर संग चली तो किशोरी,
गोविंद संग चली तो गोविंदी,
मैं ही धरा हूं,
मैं ही गगन हूं,
मैं ही राधा,
मैं ही लक्ष्मी,
मैं ही महाशक्ति हूं,
मैं कृष्णदायनी,
मैं शिव अराधिका,
मैं श्रृष्टि के रचनाकार की आसीमता हूं,
मैं सृजनिका की आसीमता हूं,
मैं...
यह गाथा काभी पूर्ण नहीं होगी,
क्योंकि यह गाथा अमर,
इसलिए जो इस में चली वो अमरणिका,
जो अनन्त संग चली वो अन्नतिका,
कृष्ण संग चली वो कृष्णनिका,
मोहन संग चली तो मोहनिका,
हरि संग चली तो हरणनिका,
कैसव संग चली केशवी,
मोहन संग चली तो मोहनिका या मोहिनी,
वीर संग चली तो वीरभद्रा,
कृष्णानंद संग चली तो कृष्णान्नधी,
किशोर संग चली तो किशोरी,
गोविंद संग चली तो गोविंदी,
मैं ही धरा हूं,
मैं ही गगन हूं,
मैं ही राधा,
मैं ही लक्ष्मी,
मैं ही महाशक्ति हूं,
मैं कृष्णदायनी,
मैं शिव अराधिका,
मैं श्रृष्टि के रचनाकार की आसीमता हूं,
मैं सृजनिका की आसीमता हूं,
मैं...