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क्या कभी अपना हाल किसी को सुनाया?
हाल किसका क्या है ये पूछने की फुरसत ही कहां है,
अकेले जीए जा रहे हैं सब, अकेला ये जहां है,
कोरे कागज़ो में कोई अब दिल की दास्तां बयां नही करता,
दूसरों को बतलाने को तरसते बोल, अब तो शब्द भी बेजुबां है।

कोई तो मिले दिल का हाल बयां करने को,
अजी कोई आए हमारे सुरो में राग भरने को,
तन्हाई तो हम मौत के बाद भी बर्दाश्त न करे,
त्यार बैठे हैं हम, कोई तो आए संग हमारे सवरने को।

खाली बैठोगे पर हाल-ए -दिल बयां नही करोगे,
वही सुबह शाम पुरानी, कभी कुछ नया नही करोगे,
ईश्वर की ज़िंदगी की तौहीन हैं ये,
इस जिंदगी में अकेलेपन से क्या कभी हया नही करोगे?

हमने तो इन कविताओं को अपना साथी है बनाया,
जो हमारे दिल में आया हमने क्विताओ को बतलाया,
कितना सूक्कों मिला, दिल कितना हल्का हुआ,
ऐसे ही कभी किसी साथी को क्या तुमने दिल का दर्द जताया?
© Literaria