...

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#तूफाओं के खिलाफ
टूटे हैं ख्वाब बिखरी हैं उम्मीदें,
कोई बतादे इन्हें दफनाऊं कैसे?

लोग मशरूफ हैं शोहरतें भुनाने को,
मैं टूटे ख्वाबों का शोक मनाऊँ कैसे?

सस्ती शोहरतें छूती हैं बुलंदियों को,
मैं शराफत की शम्मा जलाऊँ कैसे ?

लोग बहते चले गए लहरों के साथ,
मैं हवा के खिलाफ कश्ती चलाऊं कैसे?

सस्ती शोहरतें छूती हैं बुलंदियों को,
मैं लेखनी का अलख जगाऊँ कैसे ?
💐✍️© ranjeet prayas