सजाएं......
खुद से ही रूठ गए थे,
जो छोड़ स्वाभिमान अपना, तेरे कदमों में हम बिलख रहे थे।
नफरत सी होने लगी थी हमें खुद से ही
जो तुझे फिर पाने की चाहत में इतना नीचे गिर गए थे।
धोखा तूने दिया था,
गुनाह भी तूने ही किया था,
बीच राह पर हमे यूं...
जो छोड़ स्वाभिमान अपना, तेरे कदमों में हम बिलख रहे थे।
नफरत सी होने लगी थी हमें खुद से ही
जो तुझे फिर पाने की चाहत में इतना नीचे गिर गए थे।
धोखा तूने दिया था,
गुनाह भी तूने ही किया था,
बीच राह पर हमे यूं...