...

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क्योंकि हो रहे चुनाव है
नेताजी धर्म की बात करे
जाहिर वो अपनी जात करे।
नोटों की बरसात करे,
या वादों की सौगात करें।
ना समझो कि उसे तुम से लगाव है,
क्योंकि हो रहे चुनाव है।
भूल कर अपनी बात पुरानी बदल रहे हैं अपने दल को,
जोड़कर चार चोमू चमचे नाप रहे हैं अपने बल को।
हरिश्चंद्र ये बन रहे हैं हाथ में लेकर गंगाजल को।
दलितों की बात कर रहे ,उठवा कर वो अपने मल को।
ढक रहे हैं...