ग़ज़ल
ग़म मुझे बेसुमार चाहिए था
इसिलिए तेरा प्यार चाहिए था
शायरी हो रही खफ़ा हमसे
हमको कुछ ग़म उधार चाहिए था
नौकरी कर रहा हूँ ग़म के यहाँ
जीने को रोज़गार चाहिए था
हैं सभी सिरफिरे ही कश्ती पर
कोई इक होशियार चाहिए था
आग दिल की बुझाने की ख़ातिर
मयकशी और सिगार चाहिए था
ग़म ही ग़म की दवा है जर्जर सो
एक नाकाम यार चाहिए था
© जर्जर
इसिलिए तेरा प्यार चाहिए था
शायरी हो रही खफ़ा हमसे
हमको कुछ ग़म उधार चाहिए था
नौकरी कर रहा हूँ ग़म के यहाँ
जीने को रोज़गार चाहिए था
हैं सभी सिरफिरे ही कश्ती पर
कोई इक होशियार चाहिए था
आग दिल की बुझाने की ख़ातिर
मयकशी और सिगार चाहिए था
ग़म ही ग़म की दवा है जर्जर सो
एक नाकाम यार चाहिए था
© जर्जर