...

12 views

ग़ज़ल
ग़म मुझे बेसुमार चाहिए था
इसिलिए तेरा प्यार चाहिए था

शायरी हो रही खफ़ा हमसे
हमको कुछ ग़म उधार चाहिए था

नौकरी कर रहा हूँ ग़म के यहाँ
जीने को रोज़गार चाहिए था

हैं सभी सिरफिरे ही कश्ती पर
कोई इक होशियार चाहिए था

आग दिल की बुझाने की ख़ातिर
मयकशी और सिगार चाहिए था

ग़म ही ग़म की दवा है जर्जर सो
एक नाकाम यार चाहिए था
© जर्जर