...

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हारी मोहोब्बत तक़दीर से...!
उम्मीद तो कभी ना टूटी होती
तक़दीर ने तोड़ी...,
इतनी गेहरी मोहोब्बत पल में तोड़ दी...,
शिकवा भी तो किससे करू...,
तुमसे जुड़ी थीं मेरी हर खुशी...,
रूसवा समा छाया हैं हरपल...,
किससे कहू दिल का सुनापन...,
रोते रेहते हैं रोज़ हम बीना शोर किए...,
आज़ाद इतने भी नहीं के जोर से रोए...,
तेरी मोहोब्बत का शमा का लौ जलता हैं सिनेमे...,
बुझावू कैसे...!
© #Suvi..