वो गुरू चाह ले सृष्टि को बदल देवो चाहे तो धरा को बुद्धिहीन कर दे
गुरू है तो सारा जहाँ नीचे अपने
गुरू है तो सारी सफलता पीछे अपने
जो बिना शस्त्र उठाए सारा जहाँ जीत ले
अपनी विद्या के बल पर सफलता खींच ले
वो गुरू चाह ले सृष्टि को बदल दे
वो चाहे तो धरा को बुद्धिहीन कर दे
माता-पिता के बाद वही है जो चाहता
शिष्यों को अपने से आगे देख सदैव प्रफुल्लित होता
गुरू है तो दुनिया का संचालन हो रहा है
ज्ञान का प्रचार-प्रसार और उन्नत हो रहा है
गुरू न रहता तो न जाने जीवन का क्या होता
ज्ञान न कोई देता तो सारे जहाँ का क्या होता
गुरू है तो सारा आलम है अपना
गुरू न हो तो सफलता है सपना
वो चाहे तो सफलता को कदमों में ला दे
न चाहे तो अर्श से फर्श पर ला दे
गुरू है तो ज्ञान का बढ़ना है संभव
गुरू न हो तो दुनिया का संचालन असंभव
गुरू है तो अनुशासन और शिष्टाचार चल रहा
दुनिया सफल रही और मनुष्य उन्नति कर रहा
गुरू है तो दुनिया की सारी खुशियाँ अपनी
गुरू है तो जिंदगी इक राजशाही अपनी
गुरू न होते तो हमें सफलता कौन दिलाता
जिंदगी में हमें राह-ए-सफलता कौन दिखाता
गुरू इतना प्रांजल व्यक्ति कोई नहीं
ऐसा निस्वार्थ व्यक्तित्व किसी का है ही नहीं
@प्रांजल यादव
© Phoenix
गुरू है तो सारी सफलता पीछे अपने
जो बिना शस्त्र उठाए सारा जहाँ जीत ले
अपनी विद्या के बल पर सफलता खींच ले
वो गुरू चाह ले सृष्टि को बदल दे
वो चाहे तो धरा को बुद्धिहीन कर दे
माता-पिता के बाद वही है जो चाहता
शिष्यों को अपने से आगे देख सदैव प्रफुल्लित होता
गुरू है तो दुनिया का संचालन हो रहा है
ज्ञान का प्रचार-प्रसार और उन्नत हो रहा है
गुरू न रहता तो न जाने जीवन का क्या होता
ज्ञान न कोई देता तो सारे जहाँ का क्या होता
गुरू है तो सारा आलम है अपना
गुरू न हो तो सफलता है सपना
वो चाहे तो सफलता को कदमों में ला दे
न चाहे तो अर्श से फर्श पर ला दे
गुरू है तो ज्ञान का बढ़ना है संभव
गुरू न हो तो दुनिया का संचालन असंभव
गुरू है तो अनुशासन और शिष्टाचार चल रहा
दुनिया सफल रही और मनुष्य उन्नति कर रहा
गुरू है तो दुनिया की सारी खुशियाँ अपनी
गुरू है तो जिंदगी इक राजशाही अपनी
गुरू न होते तो हमें सफलता कौन दिलाता
जिंदगी में हमें राह-ए-सफलता कौन दिखाता
गुरू इतना प्रांजल व्यक्ति कोई नहीं
ऐसा निस्वार्थ व्यक्तित्व किसी का है ही नहीं
@प्रांजल यादव
© Phoenix