तुम्हे देखता हूँ तो सब देखता हूँ
न मंदिर न मस्जिद न रब देखता हूँ
तुम्हे देखता हूँ तो सब देखता हूँ
देखी जो मैं ने है आखें तुम्हारी
कोई और मंज़र न अब देखता हूँ
ऊलझते गए जो ये रिश्तें हमारे
मैं आखों में तेरी सबब देखता हूँ
हैं पहलू में बैठी बला की हसीना
क़यामत भरी मैं ये शब देखता हूँ
बाद-ए-सबा में घुली तेरी खुशबू
मैं फूलों में रंगत अजब देखता हूँ
क्यों भीड़ लगी है शहादत पे मेरे
तमाशा-ए-दुनिया गजब देखता हूँ
© Roshan Rajveer
तुम्हे देखता हूँ तो सब देखता हूँ
देखी जो मैं ने है आखें तुम्हारी
कोई और मंज़र न अब देखता हूँ
ऊलझते गए जो ये रिश्तें हमारे
मैं आखों में तेरी सबब देखता हूँ
हैं पहलू में बैठी बला की हसीना
क़यामत भरी मैं ये शब देखता हूँ
बाद-ए-सबा में घुली तेरी खुशबू
मैं फूलों में रंगत अजब देखता हूँ
क्यों भीड़ लगी है शहादत पे मेरे
तमाशा-ए-दुनिया गजब देखता हूँ
© Roshan Rajveer