...

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तुम्हे देखता हूँ तो सब देखता हूँ
न मंदिर न मस्जिद न रब देखता हूँ
तुम्हे देखता हूँ तो सब देखता हूँ

देखी जो मैं ने है आखें तुम्हारी
कोई और मंज़र न अब देखता हूँ

ऊलझते गए जो ये रिश्तें हमारे
मैं आखों में तेरी सबब देखता हूँ

हैं पहलू में बैठी बला की हसीना
क़यामत भरी मैं ये शब देखता हूँ

बाद-ए-सबा में घुली तेरी खुशबू
मैं फूलों में रंगत अजब देखता हूँ

क्यों भीड़ लगी है शहादत पे मेरे
तमाशा-ए-दुनिया गजब देखता हूँ
© Roshan Rajveer