...

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एक लफ़्ज़ में हिसाब
कभी उसे गुलाब कहा
कभी बाग की बुलबुल
उसकी प्यारी बातें मेरे
दिल मचाती हलचल
एक दिन उसने माथे बांधा
हरी चुन्नी का साफा
मैंने चाहत यूं जताई
कहा तुम हो कली गुलाब
उसने कुछ यूं फरमाया
तुम हो फूलगोभी जनाब
मेरे रंगीन सपनों का
एक लफ्ज़ में हुआ हिसाब।।



© Mohan sardarshahari