...

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लाइनें
कहीं लाइनें लंबी हो चली हैं, कहीं छोटी ही चली है
इन्सान जानवर हो चला और इंसानियत किताबे हो चली है।

धूप में भी अंधेरा हो गया, जब देखा खुद को आएने में
में, मेरा वक्त अकेला हो गया।

दिन में...