अपनी परी को अपनी फुलझड़ी का सूफियाना-सा वो नाम देना है
अभी तलक तो अपनी मोहब्बत का इज़हार भी
नहीं किया मैंने जो इकतरफ़ा था,,,
जो भी हो खैर अब, अपने ज़िंदगी भर के हर पल, हर लम्हें तुझको, तेरी यादों को
हर सेहर-ओ-शाम देना है
वैसे तो सोच रखा है कि, तू मिली तो
शुक्र है ख़ुदा का
वरना ठाना -सा है कि ज़िंदगी भर
शादी नहीं करनी है
तेरे चंद दिनों के हसीन लम्हें, तेरी यादों तेरी बातों की दिल से आज़ादी नहीं करनी है,,,
मग़र,जो ख़ुदा-ना-खाश्ता हो भी गई शादी
तो, जिंदा रहे ज़िंदगी-भर वही ज़ज्बात तेरे लिए दबीं-सी मेरे दिल के कोने में कहीं ना कहीं, सो अपनी बेटी को तेरा ही सूफियाना-सा
वो नाम देना है
हाँ, ख़बर है हमको बख़ूबी कि तड़प उठेंगे हम उस नन्हीं-सी जान को देखकर या पुकारकर उसको शायद तुम्हारे नाम से, पर
मंज़ूर है हमको वो बेचैनी, और
मुस्कराकर ज़िंदगी-भर अपने हर लम्हें, हर पल तुझको तेरी यादों को हर सहर-ओ-शाम देना है
कि, दफ़्न ना हो तेरी यादें मेरे मरने पर भी
सो अपनी बेटी को तेरा ही
सूफियाना-सा वो नाम देना है
सूफियाना-सा वो नाम देना है
💔💔💔💔💔
© Kumar janmjai
नहीं किया मैंने जो इकतरफ़ा था,,,
जो भी हो खैर अब, अपने ज़िंदगी भर के हर पल, हर लम्हें तुझको, तेरी यादों को
हर सेहर-ओ-शाम देना है
वैसे तो सोच रखा है कि, तू मिली तो
शुक्र है ख़ुदा का
वरना ठाना -सा है कि ज़िंदगी भर
शादी नहीं करनी है
तेरे चंद दिनों के हसीन लम्हें, तेरी यादों तेरी बातों की दिल से आज़ादी नहीं करनी है,,,
मग़र,जो ख़ुदा-ना-खाश्ता हो भी गई शादी
तो, जिंदा रहे ज़िंदगी-भर वही ज़ज्बात तेरे लिए दबीं-सी मेरे दिल के कोने में कहीं ना कहीं, सो अपनी बेटी को तेरा ही सूफियाना-सा
वो नाम देना है
हाँ, ख़बर है हमको बख़ूबी कि तड़प उठेंगे हम उस नन्हीं-सी जान को देखकर या पुकारकर उसको शायद तुम्हारे नाम से, पर
मंज़ूर है हमको वो बेचैनी, और
मुस्कराकर ज़िंदगी-भर अपने हर लम्हें, हर पल तुझको तेरी यादों को हर सहर-ओ-शाम देना है
कि, दफ़्न ना हो तेरी यादें मेरे मरने पर भी
सो अपनी बेटी को तेरा ही
सूफियाना-सा वो नाम देना है
सूफियाना-सा वो नाम देना है
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© Kumar janmjai