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महामारी लगी थी
महामारी लगी थी

घरों को भाग लिए थे सभी मज़दूर, कारीगर.

मशीनें बंद होने लग गई थीं शहर की सारी

उन्हीं से हाथ पाओं चलते रहते थे

वगर्ना ज़िन्दगी तो गाँव ही में बो के आए थे.

वो एकड़ और दो एकड़ ज़मीं, और पांच एकड़

कटाई और बुआई सब वहीं तो थी

ज्वारी, धान,...