परवाह
ख़ामोश होती ज़ुबाँ में अब भी उनके लिए अल्फ़ाज़ बाक़ी है
ज़िंदा लाश बन चुकी जिस्म मगर सीने में अब भी उनके लिए धड़कन की रफ़्तार बाक़ी है
नज़रों से हर नज़ारा ओझल हो चला है मगर आँखों में अब भी उनके आने की आस बाक़ी है
न जाने साँस और जिस्म कब जुदा हो चले मगर उनके दिल में...
ज़िंदा लाश बन चुकी जिस्म मगर सीने में अब भी उनके लिए धड़कन की रफ़्तार बाक़ी है
नज़रों से हर नज़ारा ओझल हो चला है मगर आँखों में अब भी उनके आने की आस बाक़ी है
न जाने साँस और जिस्म कब जुदा हो चले मगर उनके दिल में...