तन्हाई-बहुत-भारी
एक उम्र गुजारी हमने तन्हाई में,
गँवाई नींद सारी हमने तन्हाई में।
फ़िरे मारे-मारे दर-ब-दर हम,और
दर्द उठाया भारी हमने तन्हाई में।
यादें आंसूं बनके बहती रही उसकी,
खाई सीने पे कटारी हमने तन्हाई में।
वो प्यार,परवाह फिर कभी नही मिले,
ज़िन्दगी पाई न प्यारी हमने तन्हाई में।
दर्द-का-अकेला-शायर
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गँवाई नींद सारी हमने तन्हाई में।
फ़िरे मारे-मारे दर-ब-दर हम,और
दर्द उठाया भारी हमने तन्हाई में।
यादें आंसूं बनके बहती रही उसकी,
खाई सीने पे कटारी हमने तन्हाई में।
वो प्यार,परवाह फिर कभी नही मिले,
ज़िन्दगी पाई न प्यारी हमने तन्हाई में।
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