![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/247221218051711558.webp)
9 views
इश्क़_ए_निशा
वासर से फासला सा हो चला है,
रातों से इश्क़ करने लगा हूं ।
तुम्हारे जाने का सा, था जो डर,
उस तरह का डरने लगा हूं!
निशा की आदत न थी पहले,
इसी के इश्क़ में फिसलने लगा हूं।
लगता नहीं था उठ पाऊंगा, फिसल कर भी,
पर अब फिसल के भी संभलने लगा हूं।
© stupid_me
रातों से इश्क़ करने लगा हूं ।
तुम्हारे जाने का सा, था जो डर,
उस तरह का डरने लगा हूं!
निशा की आदत न थी पहले,
इसी के इश्क़ में फिसलने लगा हूं।
लगता नहीं था उठ पाऊंगा, फिसल कर भी,
पर अब फिसल के भी संभलने लगा हूं।
© stupid_me
Related Stories
20 Likes
5
Comments
20 Likes
5
Comments