...

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*सफर*
एक रात वो काली सी
गूंज उठी दुनिया सारी
मां की जब कोख से
आयी लक्ष्मी एक प्यारी ।

घर जो सूना रहता था
उसके आने से चमक उठा
मा बाप के जीवन का अंधेरा
धूप बनकर जो खिल उठा ।

आंगन की अंगड़ाई में
खेल कूद जब बड़ी हुई
छोटी सी वो कन्या
पड़ी लिखी भी खूब हुई ।

भोली उसकी सूरत
आंखें भी कजरा ली
सुंदरता की भोर में
उसके मन की वो हर्याली ।

कुछ समय अब और बीता
हल्दी लायक उमर हुई
इस घर की लाडली
अब बेटी से बहू हुई ।

कुछ सपने वो छोड़ चली
जब नये घर की ओर चली
आंखों के कोनों में
यादें जो समेट चली ।

कुछ समय लगा
नए लोग मिले
इस घर के भी मौसम में
जो रंग उसने नए भरे ।

एक रोज़ जलसा सा हुआ
एक बात का जब ज़िक्र हुआ ,
मां बनने की सीढ़ में
कोख जो उसकी भर उठी ।

वही पुरानी बातें अब फिर्से दहुराएंगी
जीवन की शैली में ,
एक रोज़ वो छोटी सी बेटी
आज एक नई जान को लाएगी ।

मा बोलने से मा बनने का
सफर बहुत सुहाना था ,
कुछ दर्द भी सहे थे
पर जीत का जो इरादा था ।।
© Anadi