...

8 views

सुकून की चाह
#घरवापसीकविता

किताब के आखिरी पन्ने पर बने
वो दिन गिनते कैलेंडर
मेरी बेताबी का सबूत है
कि उस सुकून से मेरी मुलाकात कब हो
कब मैं अपने घर जा पाऊं
मेरे घरवालों से जी भर बात कब हो।

एक निवाला नहीं खाया जाता
जिस दिन वो घड़ी आती है
बस के इंतजार में सांस अटक जाती है
कि चैन मिलता है अपने गांव में पहुंचते ही
भाई इंतजार में खड़ा रहता है...