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हंस बुद्धि अपनाओ देवतुल्य कहलाओ
*हंस बुद्धि अपनाओ देवतुल्य कहलाओ*

दुनिया के दलदल में, फंसकर कुछ न पाओगे
अपनी आत्मा पर तुम, और ही दाग लगाओगे

बगुला बुद्धि वाले भी, सारी दुनिया में भरे पड़े
अगर गौर से देखो तो, वास्तव में सब मरे पड़े

चरित्र बड़ा बुरा इनका, अवगुण की गंद खाते
सुअर समान कीचड़ में, स्वयं को ही लिपटाते

फर्क देखो हंस बगुले में, त्वचा दोनों की गोरी
बगुला मन का मेला है, हंस की बुद्धि है कोरी
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