...

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तुम्हारी कमी
है बाते कितनी करनी तुमसे,
तुम अब सुनते ही कहाँ हो?

कभी कोशिश करके अगर बोलना भी चाहूं,
तो तुम अब प्यार समझते ही कहां हो?

वो जो गुस्सा तुम्हे आ जाए,
तो फिर मेरी इज्ज़त रखते कहां हो?

और मै भूल ही जाऊ, क्या वादे तुम्हारे,
तुम हाल पता भी अब पूछते कहां हो?

ये नरम लहजा तुम्हारा सबके लिए है,
मेरे लिए ऐसा लहजा अब तुम रखते ही कहां हो??

© From ANNU