35 views
कलि से पुष्प और पुष्प से ?
#आदर्शितव्यक्तित्व
छोटी सी चिरया, मेरे घर की बिटिया।
मां की दुलारी,पापा की है प्यारी।।
घर आंगन में खेले वो एक कलियां।
घर लगे हमको पूरा फुलवारियां।।
पैरों की वो पायल,झनके जब पायलिया।
घर बन जायें,सरगम का एक कोना।।
जैसे आया यौवन,खुली है पंखुड़ियां।
हंसी उसकी निर्मल, शीतल सी नदियां।।
हुईं जब परायी,सूना हुआ आंगन।
प्यारी सी मेरी बिटिया,कब हुई सयानी।।
बड़ी- बड़ी आंखों में, छुपाए थे दुखिया।
सहा जब तक उसने, अपने जिस्म की पीड़ा।।
हार गई एक दिन,मूंद ली आंखें।
नाजों से पाली थी,वो मासूम सी गुड़िया।।
आज लेटी थी,वो मृत्यु की सय्या ।
सोचा उस मां ने।।
काश उसको नाजुक बनाया न होता।
हाथों में मेहंदी के बजाय, चाबुक पकड़ाया होता।।
अपने ऊपर उठे हाथ को, वो काट देती।।
तो आज हमारी लाड़ो, इस हालात में न होती।।
© Anu
छोटी सी चिरया, मेरे घर की बिटिया।
मां की दुलारी,पापा की है प्यारी।।
घर आंगन में खेले वो एक कलियां।
घर लगे हमको पूरा फुलवारियां।।
पैरों की वो पायल,झनके जब पायलिया।
घर बन जायें,सरगम का एक कोना।।
जैसे आया यौवन,खुली है पंखुड़ियां।
हंसी उसकी निर्मल, शीतल सी नदियां।।
हुईं जब परायी,सूना हुआ आंगन।
प्यारी सी मेरी बिटिया,कब हुई सयानी।।
बड़ी- बड़ी आंखों में, छुपाए थे दुखिया।
सहा जब तक उसने, अपने जिस्म की पीड़ा।।
हार गई एक दिन,मूंद ली आंखें।
नाजों से पाली थी,वो मासूम सी गुड़िया।।
आज लेटी थी,वो मृत्यु की सय्या ।
सोचा उस मां ने।।
काश उसको नाजुक बनाया न होता।
हाथों में मेहंदी के बजाय, चाबुक पकड़ाया होता।।
अपने ऊपर उठे हाथ को, वो काट देती।।
तो आज हमारी लाड़ो, इस हालात में न होती।।
© Anu
Related Stories
46 Likes
34
Comments
46 Likes
34
Comments