कलि से पुष्प और पुष्प से ?
#आदर्शितव्यक्तित्व
छोटी सी चिरया, मेरे घर की बिटिया।
मां की दुलारी,पापा की है प्यारी।।
घर आंगन में खेले वो एक कलियां।
घर लगे हमको पूरा फुलवारियां।।
पैरों की वो पायल,झनके जब पायलिया।
घर बन जायें,सरगम का एक कोना।।
जैसे आया यौवन,खुली है पंखुड़ियां।
हंसी उसकी निर्मल, शीतल सी...
छोटी सी चिरया, मेरे घर की बिटिया।
मां की दुलारी,पापा की है प्यारी।।
घर आंगन में खेले वो एक कलियां।
घर लगे हमको पूरा फुलवारियां।।
पैरों की वो पायल,झनके जब पायलिया।
घर बन जायें,सरगम का एक कोना।।
जैसे आया यौवन,खुली है पंखुड़ियां।
हंसी उसकी निर्मल, शीतल सी...