...

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ये ज़िंदगी...
हँसाती है, कभी रुलाती है...
फूल और कांटो सी, ये ज़िंदगी।

तोड़ती है, कभी जोड़ती है...
एहसास दिलो के , ये ज़िदगी।
मोड़ती है, कभी घुमाती हैं...
चलते हुए रास्तों पे,ये ज़िदगी।

कहती है, कभी सुनाती है...
नए पुराने अफ़साने,ये ज़िदगी।
उलझाती है, कभी सुलझाती है..
अंतर्मन की डोर, ये ज़िदगी।

मिलती है, कभी बिछड़ती है...
भिन्न कई रूपों में, ये ज़िदगी।
रोकती...