...

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ये ज़िंदगी...
हँसाती है, कभी रुलाती है...
फूल और कांटो सी, ये ज़िंदगी।

तोड़ती है, कभी जोड़ती है...
एहसास दिलो के , ये ज़िदगी।
मोड़ती है, कभी घुमाती हैं...
चलते हुए रास्तों पे,ये ज़िदगी।

कहती है, कभी सुनाती है...
नए पुराने अफ़साने,ये ज़िदगी।
उलझाती है, कभी सुलझाती है..
अंतर्मन की डोर, ये ज़िदगी।

मिलती है, कभी बिछड़ती है...
भिन्न कई रूपों में, ये ज़िदगी।
रोकती है, कभी टोकती है...
क़दम उठाने से पहले, ये ज़िंदगी।

समझती है, कभी समझाती है...
एकांत कहीं भीड़ में, ये ज़िदगी।
अटकती है, कभी भटकाती है...
फंसकर भृम जाल में, ये ज़िदगी।

बढ़ाती है, कभी घटाती है...
हौंसला जीने का, ये ज़िदगी।
हाराती है, कभी जीताती है...
बाजी जीवन दौड़ में, ये ज़िदगी।

सुख है, तो कभी दुःख है....
रूबरू कराती दोनो से, ये ज़िदगी।
डाँटती है, फिर बांटती है...
दर्द-ए- ग़म साथी बनके, ये ज़िंदगी।

बहकती है,कभी महकती है...
शब्द और भावनाओं की , ये ज़िंदगी।
हँसाती है,कभी रुलाती है...ये ज़िंदगी।

#येज़िदगी..
#alok5star
#Poetry
#Life
© ALOK Sharma...✍️