भूले हुए रिश्तों की बारी
भरी नहीं जो सालों से, उन दर्द के रिश्तों की बारी
बड़े दिनों मे आई है,भूले हुए रिश्तों की बारी
कई बड़े ये जानेंगे कि नन्हें नादान और भी है
नए परिंदे सीखेंगे कि कई आसमां और भी है
हाथ बड़े छोटे छोटे है इन मासूम फरिश्तों के
कैसे सुलझाएंगे धागे ये उलझे हुए रिश्तों के
क्या जागेंगे दर्द पुराने, गम...
बड़े दिनों मे आई है,भूले हुए रिश्तों की बारी
कई बड़े ये जानेंगे कि नन्हें नादान और भी है
नए परिंदे सीखेंगे कि कई आसमां और भी है
हाथ बड़े छोटे छोटे है इन मासूम फरिश्तों के
कैसे सुलझाएंगे धागे ये उलझे हुए रिश्तों के
क्या जागेंगे दर्द पुराने, गम...