...

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" निशब्द हूँ.... "
निशब्द हूंँ ...
बेचैन हूँ ...
खुद को खोकर,
तुझमें खोईखोई हूंँ..
हाँ..! "मैं" प्रेम की मूरत हूंँ..
सूरत में "मैं" साधारण हूँ..
"मैं " कोमल ह्रदय की हूँ
डर सी जाती हूंँ ...
जब कोई ऊंची आवाज में कुछ कहे हमसे..
दिल में बसा कर उनकों,
उनसे बेइंतहा मोहब्बत कर लेती हूंँ..
तमन्ना यह नहीं कि कुछ मिले हमें उनसे
हाँ... ! तमन्ना यह जरूर है कि
प्रेम के बदले "प्रेम" ही मिले हमें उनसे..
शायद इजाज़त नहीं हमें प्रेम की उनसे
लेकिन यह प्रेम करना कोई गलत तो नहीं उनसे..
अगर करना गलत यह "प्रेम" है,
तो क्यूँ रात-दिन माला जपते हो फिर राधा श्याम की ??

शालिनी सकलानी✍️✍️✍️


© Shalini Saklani ✍️ shaivali