अति आत्म-मुग्धता अच्छी नहीं!🌞🌝🤤
#चाँदसमुद्रसंवाद
चांद कहे समंदर से—
मैं हूं तेरी डोर,
मेरे सौम्य आकर्षण से
उठती तुझ में लहरें,
उठती तुझ में हिलोर,
समंदर भी लज्जाता सा,
सकुचाता सा, कहे—
बात तुम्हारी सच है
ओ मेरे चित्त चोर,
हाथों में तेरे ही है
मेरे जीवन की डोर,
किंतु सूर्य को भी
तनिक देख ज़रा,
जो स्वयं जलता फिरे,
जगमग करे...
चांद कहे समंदर से—
मैं हूं तेरी डोर,
मेरे सौम्य आकर्षण से
उठती तुझ में लहरें,
उठती तुझ में हिलोर,
समंदर भी लज्जाता सा,
सकुचाता सा, कहे—
बात तुम्हारी सच है
ओ मेरे चित्त चोर,
हाथों में तेरे ही है
मेरे जीवन की डोर,
किंतु सूर्य को भी
तनिक देख ज़रा,
जो स्वयं जलता फिरे,
जगमग करे...