...

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उम्रदराज़
उम्र हो रही दराज़ “मग़र
जोश ए जुनून अब भी बाक़ी है
क्या हुआ जो चेहरे पर हल्की
सी शिकन आ गई “लेकिन

दिल में “बचपना तो “अब भी बाक़ी है

क्या हुआ बालों में जो “हल्की
”सफ़ेदी सी छा गई “मग़र
मन तो अभी ख़ुद को बुड्ढा
मानने को राज़ी ही नहीं

आज भी बच्चो की तरह
उछल कूद मचाता है
आईने में अपनी जवानी को
देख देख इतराता है “मन ही

मन ये सोचता है कि “आज के जवान
तो बूढ़े से दिखते है “लेकिन
मैं आज भी किसी से कम तो नहीं हूँ
आज भी वही जोश और हौसलों
मे भी वही कराश बाक़ी है

उम्र हो रही दराज़ “मग़र
जोशे जुनून अब भी बाक़ी है
© sapna