...

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तुम्हारा
चाहता था भूल जाऊँ
पर अब याद रखुँगा ....व्यवहार तुम्हारा
समय समय पर जो दिया है लब्जो का ...प्रहार तुम्हारा
मेरे फूलो पर ......अंगार तुम्हारा
इस सादगी पर नकली .....शृंगार तुम्हारा
खाली न जायेगा ये .......वार तुम्हारा
तुम्हें मुबारक....... संसार तुम्हारा
मंगलमय हो जीवन और हर..... त्यौहार तुम्हारा
ये भी पता है तुम्हें
न चाहिए कोई शुभकामनाएँ हमारी
अपने पास रखो...... अहंकार तुम्हारा।।

सौम्यसृष्टि
© Somyashrusti