...

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वो आए थे कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर.
वो आए थे कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर ,
गुंज उठे थे गलीयां मोहल्ले अफसाने बनकर ,
मुस्कुरा उठी थीं ऐ आंखें खुशियां बनकर ,
हर एक शख्स ने आकर बताया जैसे मेरे अंधेरे रातों में आया हो वो चांद बनकर ,
वो आए थे कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर.

दिल की धड़कनें बगावत कर रही थी जैसे लहरें बनकर ,
पास था वो पर भी देख रहा था उस चांद को बस एक बच्चा बनकर ,
उसके दिल की हर एक बात नजर आ रही थी शायद उसके चेहरे पर ,
उसे देख मुझे हर कोई आकर सुना रहा था जैसे मेरी आशिक़ी बनकर ,
वो आए थे कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर ,

जिंदा तो था बिना दिल के एक लाश बनकर ,
वो आए जैसे मेरी सांस बनकर ,
कोरा हो गया था कागज़ ज़िंदगी का मेरे ,
वो चले गए एक कहानी बनाकर ,
सुना है वो आए थे कुछ दिन के लिए मेहमान बनकर.


© ashpaktalikote