...

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याद आ गई...
आज़ फ़िर हुई जो शाम तुम्हारी याद आ गई
जैसे उठाया ज़ाम, तुम्हारी याद आ गई..

कुछ लफ्ज़ आ रहे थे, जा रहे थे जेहन में
लिखने को था कलाम, तुम्हारी याद आ गई..

फ़िर शोख सी इक लड़की मुझे देख मुस्कुराई
झुक कर किया सलाम, तुम्हारी याद आ गई..

हूँ बैठा उसी शहर के उस पुराने रेस्तरां में
फ़िर किस्से वो तमाम, तुम्हारी याद आ गई..



© Rajnish Ranjan