...

12 views

बड़ा बेटा
घर का बड़ा हूं
थोड़ा नकचढ़ा हूं
जिम्मेदारियां है सर पे
दुनियादारी से डरा हूं
कुछ ख्वाईशे है छिपाई
मैंने घरवालों से
कुछ बातें न बताई
मैंने अपने बड़ों से
अपने छोटे की
मैं बाते सुन के मौन हूं
बड़ों ने भी सुनाया
बता बेटा कौन हूं
मां को दिलाऊं आभूषण
है छोटा सा एक सपना
भाई को न हो कमी
और हो पापा का कार अपना
अब खुद से करता हूं
बचत कुछ पैसा
हमेशा मांगूंगा
हूं मैं बेटा कैसा
खुद कुछ बना तो
घरवालों पर उड़ाऊंगा
घर की जिम्मेदारियां
मैं सर पे उठाऊंगा
घर का हूं बड़ा बेटा
इतना तो कर के जाऊंगा।
© अनुराग . सहचर