...

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रात गहराती है ज्यों ज्यों!✒️✒️
रात गहराती है ज्यों ज्यों,
मन मस्तिष्क में इक
ज्वार सा उठता है,
मानो कोई सागर
ज्ञान का अंगड़ाई
लेकर जगता है,
अक्षर स्वयं शब्द
से बन जाते हैं,
मानो शब्दकोश
आसमां से उतरता
भागता आता...