आखिर जिम्मेदार कौन!!
उसकी बेरुखी ने मुझे इस कदर कर दिया,
मेरी ख्वाहिशों में जख्मों ए जहर भर दिया।
ढूंढ़ती थीं नजरें जिसे हर महफिलें शाम,
रोशनी की तलाश ने मौत से बेखबर कर दिया।।
दुआ मांगी थी हमने खुदा से उसकी सलामती का,
मगर नफरतें...
मेरी ख्वाहिशों में जख्मों ए जहर भर दिया।
ढूंढ़ती थीं नजरें जिसे हर महफिलें शाम,
रोशनी की तलाश ने मौत से बेखबर कर दिया।।
दुआ मांगी थी हमने खुदा से उसकी सलामती का,
मगर नफरतें...