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धैर्य 'एक सजगता '
मजे की एक बात है, मैं और मेरे धैर्य की डोर एक दिन!
पूछों भला आगे क्या हुआ, तब तो मैं सब छोड़ बतलाऊँ !

मुझे भी अच्छा नहीं लगता, सबको इतना इंतज़ार कराना!
अच्छा चलो मैं ही बता देता हूँ, जी पूछने का कष्ट न करो !

उस दिन हुआ क्या था, आप भी यहीं सोच रहे हो ना!
इतना जो सोच रहे हैं आप पहले उसी का शुक्रिया देता हूँ!

कुछ किमती वक़्त निकाला है जो, हमें सुनने के लिए!
काश उस दिन भी आप ऐसे ही सुनने रुक जाते तो क्या हो जाता!

माना कि थोड़ी खुशी हमें भी होती, आपको पास खड़े देखकर!
बेशक न पूछते हाल, तड़पते छोड़कर यूँ ही आप भी चले जाते!

औरों की तरह लाइक और कमेंट के लिए वीडियो बना लेते!
जब झुलस रहे थे आग से और कुछ सड़क किनारे पड़े थे!

हाँ देखा तो होगा आपने भी यहाँ नहीं तो देश के किसी कोने में!
पर आपको फ़र्क पड़ता है, सड़क से उठाकर हॉस्पिटल ले जाने में!

कही गाड़ी में आपके खून न लग जाएगी, या तो हजार सवाल होंगे आपसे!
दफ़्तर भले ही पहुँचते रोज़ लेट लेकिन उस दिन तो आपको जल्दी थी!

देख कर भी अनदेखा किया और बेवजह के...