फिर याद आए वो
कैसे भुला दूँ उन्होंने सजाई मेरे माथे की बिंदियाँ
पागल थे वो भुला बैठे थे अपने रातों की निंदियाँ
हँसती भी थी मैं तो सुकूँ पा जाते थे वो भी कभी
आज फिर याद आए वो आसुंओ को छुपाते अभी
हाँ माना कि- मैं थोड़ीसी नादान हूँ ,नासमझ नही
समझती हूँ उनकी...
पागल थे वो भुला बैठे थे अपने रातों की निंदियाँ
हँसती भी थी मैं तो सुकूँ पा जाते थे वो भी कभी
आज फिर याद आए वो आसुंओ को छुपाते अभी
हाँ माना कि- मैं थोड़ीसी नादान हूँ ,नासमझ नही
समझती हूँ उनकी...