...

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वक़्त...
सुख और दुःख हमारी ज़िन्दगी के दो पहलू,
अपने नसीब से हो रहे रूबरू,
ऊपरवाला भी बड़ा कलाकार है,
उसकी काला कृतियों के बिना सब बेकार है,
वो ही जाने उसके दिल में क्या है समाया,
उसका लिखा दुनिया में कोई ना बदल पाया,
आज सुख है तो वक़्त अपना है,
कल दुःख आएगा और वक़्त बदल जाएगा,
कभी दिल कि धड़कन सँभाले,
कभी बिखरती ज़िन्दगी सँवारे,
कभी राहों में अचानक से मोड़ ला दे,
कभी अनजाने मोड़ पे साथ छोड़ दे,
दर्द का अंचल किसी पे ठहरा नहीं,
वक़्त का दिया दर्द मुश्किल है गहरा नहीं,
हर ज़ख्म है वक़्त भरता यहीं,
वक़्त से बेहतर कोई दवा कोई दुआ नहीं,
थरथराती लौ को जैसे जीने कि आस,
सागर में तड़पते सींप को बूँद कि प्यास,
सूरज कि किरणों को जैसे खिलने कि चाहत,
भटके पंछी को जैसे घरौंदे कि राहत,
ये उमीदें बनाती हैं हमें ख़ास,
अकेलेपन में भी रहती हैं पास,
ये वक़्त का अद्भुत खेल है,
जो हिम्मत खो के भी चलती रहती है साँस...