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कौन सुनेगा यहां
© Nand Gopal Agnihotri
तू अपने दर्द का किसी से इजहार न कर,
कौन लेता है कूड़े कचरे की खबर।
रस है जबतक तभी तक गन्ने की कदर,
फेंक दिया जाता है सारा रस गार कर।
कोना ही एक काफी है करने को गुजर,
सोते देखा है फुटपाथ पे होकर बेघर।
निश्चिंत हो जा सारी वेदना ईश्वर को सौंप कर,
और उसी का सुमिरन कर।
एक दिन आएगी मौत फरिश्ता बनकर,
चुपके से ले जाएगी किसी को होगी न खबर।
नन्द गोपाल अग्निहोत्री
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